दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में आये फैसले पर बीजेपी सांसद उमा भारती ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है क्योंकि यह राम जन्मभूमि है न की मुसलमानो के लिए, उनका धार्मिक स्थान मक्का है। हालाँकि उन्होंने ये भी कहा की राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामला मजहबी झगड़ा नहीं है। इसे धार्मिक झगड़ा बनाया गया है।
पत्रकारों से बातचीत में उमा भारती ने कहा है कि अयोध्या हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान है क्योंकि यह राम जन्मभूमि है न की मुसलमानो के लिए, उनका धार्मिक स्थान मक्का है। जनसत्ता के अनुसार, बीजेपी सांसद उमा भारती ने कहा है कि मंदिर-बाबरी मस्जिद झगड़ा कोई मुद्दा नहीं था बल्कि इसे मुद्दा बनाया गया है। जो बाद में जमीन झगड़ा में बदल गया। आपको बतादे की राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में 5 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह मामला धार्मिक जमीन झगड़ा है।
आपको बतादे की मुस्लिम पक्षकार की ओर से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले में पेश किये गए गवाह राजीव धवन ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि मुस्लिमों को नमाज पढ़ने का हक़ है और उसे बहाल किया जाना चाहिए। जिसके बाद गुरुवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में नमाज इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पूर्व फैसले को बरकरार रखते हुए इसे संवैधानिक खंडपीठ को भेजने से इनकार कर दिया।
This isn't a matter of religious dispute, as Ayodhya is an important religious place for Hindus because it is the Ram Janambhoomi but for Muslims, it isn't a religious place, for them it is Mecca. This matter was created &it finally got transformed into a land dispute: Uma Bharti pic.twitter.com/DK1MGnPajo
— ANI (@ANI) September 27, 2018
गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए 6 दिसंबर 1992 को होने वाले आंदोलन के दौरान अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक मुकदमा के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। अभी टाइटल विवाद से संबंधित मामले पर सुनवाई होनी बाकि है जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को दिए अपने फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा जहाँ फिलहाल अभी राम की मूर्ति है। और इस दूसरा हिस्से में निर्मोही अखाड़ा, सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल हैं। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सभी पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर 9 मई 2011 को रोक लगाते हुये यथास्थिति बहाल कर दिया।
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