नए कृषि कानूनों के विरोध में तेज होते किसान आंदोलन के बाद किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने एक बार फिर यू-टर्न लेते हुए आंदोलन में लौटने का संकेत दिया है। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई हिंसा के बाद वीएम सिंह ने 27 जनवरी को खुद को आंदोलन से अलग कर लिया था।
हालांकि मंगलवार को उन्होंने कहा कि मैंने यह कभी नहीं कहा कि मैं आंदोलन से हट रहा हूं। हमने कहा था कि हम उस स्वरूप से हट रहे हैं। आज हम एक नए स्वरूप में वापस आ रहे हैं और हमारा मानना है कि अगर गांव-गांव के अंदर आंदोलन पहुंचेगा तो आंदोलन को बहुत फायदा होगा।
मैंने ये कभी नहीं कहा कि मैं आंदोलन से हट रहा हूं। हमने कहा था कि हम उस स्वरूप से हम हट रहे हैं। आज हम एक नए स्वरूप से वापस आ रहे हैं और हमारा मानना है कि अगर गांव-गांव के अंदर आंदोलन पहुंचेगा तो आंदोलन को बहुत फायदा होगा: किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वी.एम. सिंह pic.twitter.com/SDSb9HCO6d
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 23, 2021
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वीएम सिंह ने 27 जनवरी को आंदोलन से खुद को अलग करते हुए कहा था कि हम किसी ऐसे व्यक्ति के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर भी कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि हम लोगों को पिटवाने के लिए यहां नहीं आए हैं। हम देश को बदनाम करना नहीं चाहते। वीएम सिंह ने कहा था कि टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई।
गौरतलब है कि केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध अब भी बरकरार है। कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन आज 90वें दिन भी जारी है। इस बीच किसानों को मनाने के लिए अब तक केंद्र सरकार की ओर से की गईं सभी कोशिशें बेनतीजा रही हैं।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।
केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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